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2 months ago
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हिंदू धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है। सरस्वती जी को वाग्देवी के नाम से भी जाना जाता है। सरस्वती जी को श्वेत वर्ण अत्यधिक प्रिय होता है। श्वेत वर्ण सादगी का परिचायक होता है।
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॥दोहा॥
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥
सरस्वती चालीसा हिंदी में
माता-पिता के चरणों की धूल मस्तक पर धारण करते हुए हे सरस्वती मां, आपकी वंदना करता हूं/करती हूं, हे दातारी मुझे बुद्धि की शक्ति दो। आपकी अमित और अनंत महिमा पूरे संसार में व्याप्त है। हे मां रामसागर (चालीसा लेखक) के पापों का हरण अब आप ही कर सकती हैं।
॥चालीसा॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुज धारी माता।सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥
तब ही मातु का निज अवतारी।पाप हीन करती महतारी॥
सरस्वती चालीसा हिंदी में
बुद्धि का बल रखने वाली अर्थात समस्त ज्ञान शक्ति को रखने वाली हे सरस्वती मां, आपकी जय हो। सब कुछ जानने वाली, कभी न मरने वाली, कभी न नष्ट होने वाली मां सरस्वती, आपकी जय हो।
अपने हाथों में वीणा धारण करने वाली व हंस की सवारी करने वाली माता सरस्वती आपकी जय हो। हे मां आपका चार भुजाओं वाला रुप पूरे संसार में प्रसिद्ध है।
जब-जब इस दुनिया में पाप बुद्धि अर्थात विनाशकारी और अपवित्र वैचारिक कृत्यों का चलन बढता है तो धर्म की ज्योति फीकी हो जाती है। हे मां तब आप अवतार रुप धारण करती हैं व इस धरती को पाप मुक्त करती हैं।
वाल्मीकि जी थे हत्यारा।तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामचरित जो रचे बनाई।आदि कवि की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्वाना।भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।केव कृपा आपकी अम्बा॥
सरस्वती चालीसा हिंदी में
हे मां सरस्वती, जो वाल्मीकि जी हत्यारे हुआ करते थे, उनको आपसे जो प्रसाद मिला, उसे पूरा संसार जानता है। आपकी दया दृष्टि से रामायण की रचना कर उन्होंनें आदि कवि की पदवी प्राप्त की। हे मां आपकी कृपा दृष्टि से ही कालिदास जी प्रसिद्ध हुये।
तुलसीदास, सूरदास जैसे विद्वान और भी कितने ही ज्ञानी हुए हैं, उन्हें और किसी का सहारा नहीं था, ये सब केवल आपकी ही कृपा से विद्वान हुए मां। सरस्वती मां को बुद्धि व ज्ञान की देवी कहते हैं, इसलिए संसार में बुद्धि से, ज्ञान से, वाणी से, संगीत से जिन्होंनें जितनी उपलब्धियां हासिल की हैं, सब मां सरस्वती की कृपा मानी जाती है।
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करहिं अपराध बहूता।तेहि न धरई चित माता॥
राखु लाज जननि अब मेरी।विनय करउं भांति बहु तेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
सरस्वती चालीसा हिंदी में
हे मां भवानी, उसी तरह मुझ जैसे दीन दुखी को अपना दास जानकर अपनी कृपा करो। हे मां, पुत्र तो बहुत से अपराध, बहुत सी गलतियां करते रहते हैं, आप उन्हें अपने चित में धारण न करें अर्थात मेरी गलतियों को क्षमा करें, उन्हें भुला दें। हे मां मैं कई तरीके से आपकी प्रार्थना करता हूं, मेरी लाज रखना। मुझ अनाथ को सिर्फ आपका सहारा है। हे मां जगदंबा दया करना, आपकी जय हो, जय हो।
मधुकैटभ जो अति बलवाना।बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥
समर हजार पाँच में घोरा।फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।क्षण महु संहारे उन माता॥
रक्त बीज से समरथ पापी।सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।बारबार बिन वउं जगदंबा॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥
सरस्वती चालीसा हिंदी में
मधु कैटभ जैसे शक्तिशाली दैत्यों ने भगवान विष्णू से जब युद्ध करने की ठानी, तो पांच हजार साल तक युद्ध करने के बाद भी विष्णु भगवान उन्हें नहीं मार सके। हें मां तब आपने ही भगवान विष्णु की मदद की और राक्षसों की बुद्धि उलट दी। इस प्रकार उन राक्षसों का वध हुआ।
हे मां मेरा मनोरथ भी पूरा करो। चंड-मुंड जैसे विख्यात राक्षस का संहार भी आपने क्षण में कर दिया। रक्तबीज जैसे ताकतवर पापी जिनसे देवता, ऋषि-मुनि सहित पूरी पृथ्वी भय से कांपने लगी थी।
हे मां आपने उस दुष्ट का शीष बड़ी ही आसानी से काट कर केले की तरह खा लिया। हे मां जगदंबा मैं बार-बार आपकी प्रार्थना करता हूं, आपको नमन करता हूं। हे मां, पूरे संसार में महापापी के रुप विख्यात शुंभ-निशुंभ नामक राक्षसों का भी आपने एक पल में संहार कर दिया।
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई। रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥12
को समरथ तव यश गुन गाना।निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥13
रक्त दन्तिका और शताक्षी।नाम अपार है दानव भक्षी॥
सरस्वती चालीसा हिंदी में
हे मां सरस्वती, आपने ही भरत की मां केकैयी की बुद्धि फेरकर भगवान श्री रामचंद्र को वनवास करवाया। इसी प्रकार रावण का वध भी आपने करवाकर देवताओं, मनुष्यों, ऋषि-मुनियों सबको सुख दिया।
आपकी विजय गाथाएं तो अनादि काल से हैं, अनंत हैं इसलिए आपके यश का गुणगान करने का सामर्थ्य कोई नहीं रखता। जिनकी रक्षक बनकर आप खड़ी हों, उन्हें स्वयं भगवान विष्णु या फिर भगवान शिव भी नहीं मार सकते। रक्त दंतिका, शताक्षी, दानव भक्षी जैसे आपके अनेक नाम हैं।
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता।कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित को मारन चाहे।कानन में घेरे मृग नाहे॥
सागर मध्य पोत के भंजे।अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई।संशय इसमें करई न कोई॥
सरस्वती चालीसा हिंदी में
हे मां दुर्गम अर्थात मुश्किल से मुश्किल कार्यों को करने के कारण समस्त संसार ने आपको दुर्गा कहा। हे मां आप कष्टों का हरण करने वाली हैं, आप जब भी कृपा करती हैं, सुख की प्राप्ती होती है, अर्थात सुख देती हैं।
जब कोई राजा क्रोधित होकर मारना चाहता हो, या फिर जंगल में खूंखार जानवरों से घिरे हों, या फिर समुद्र के बीच जब साथ कोई न हो और तूफान से घिर जाएं, भूत प्रेत सताते हों या फिर गरीबी अथवा किसी भी प्रकार के कष्ट सताते हों, हे मां आपका नाप जपते ही सब कुछ ठीक हो जाता है इसमें कोई संदेह नहीं है अर्थात इसमें कोई शक नहीं है कि आपका नाम जपने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है, दूर हो जाता है।
पुत्रहीन जो आतुर भाई।सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥
करै पाठ नित यह चालीसा।होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करैं हमेशा। निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें सत बारा। बंदी पाश दूर हो सारा॥
रामसागर बाँधि हेतु भवानी।कीजै कृपा दास निज जानी।
सरस्वती चालीसा हिंदी में
जो संतानहीन हैं, वे और सब को छोड़कर आप माता की पूजा करें और हर रोज इस चालीसा का पाठ करें, तो उन्हें गुणवान व सुंदर संतान की प्राप्ति होगी। साथ ही माता पर धूप आदि नैवेद्य चढ़ाने से सारे संकट दूर हो जाते हैं। जो भी माता की भक्ति करता है, कष्ट उसके पास नहीं फटकते अर्थात किसी प्रकार का दुख उनके करीब नहीं आता। जो भी सौ बार बंदी पाठ करता है, उसके बंदी पाश दूर हो जाते हैं। हे माता भवानी सदा अपना दास समझकर, मुझ पर कृपा करें व इस भवसागर से मुक्ति दें।
॥दोहा॥
मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥
सरस्वती चालीसा हिंदी में
हे मां आपकी दमक सूर्य के समान है, तो मेरा रूप अंधकार जैसा है। मुझे भवसागर रुपी कुंए में डूबने से बचाओ। हे मां सरस्वती मुझे बल, बुद्धि और विद्या का दान दीजिये। हे मां इस पापी रामसागर को अपना आश्रय देकर पवित्र करें।
लोगों के जीवन में कई उल्लेखनीय सुधार देखे जा सकते हैं जब श्री सरस्वती चालीसा को ईमानदारी और पूर्ण भक्ति के साथ पढ़ा जाता है। श्री सरस्वती चालीसा से सभी सामाजिक वर्ग लाभान्वित हो सकते हैं। ज्ञान, बुद्धि और कला की देवी श्री सरस्वती माता के रूप में जानी जाती हैं। श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करने से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। मां की कृपा से व्यक्ति के जीवन में कभी कोई कमी नहीं आती है। सुख, समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है। विवेक और ज्ञान प्राप्त करना। एक मानसिक स्पष्टता विकसित करता है।
श्री सरस्वती चालीसा पाठ का प्रभाव सभी सामाजिक स्तरों पर होता है। श्री सरस्वती चालीसा का जाप करने के क्या फायदे हैं?
विद्यार्थी वर्ग के लिए श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है। विद्या और ज्ञान की देवी को श्री सरस्वती माता के नाम से जाना जाता है। श्री सरस्वती चालीसा का पाठ एकाग्रता में सहायक होता है। मानसिक संतुलन अभी भी अच्छा है, और मन और दिमाग शांत रहता है। उसने जो कुछ पढ़ा है उसे वह काफी अच्छी तरह से रखता है, जिसके कारण उसका मन पढ़ाई में लगा रहता है। जब आप अपना दिमाग लगाते हैं तो आप अपनी पढ़ाई में सफल होते हैं। आपको बेहतरीन ग्रेड मिलते हैं।
जबकि युवा क्षेत्र में कुछ काम पर जाते हैं, अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अध्ययन कर रहे हैं। कुछ लोग स्व-नियोजित हैं। श्री सरस्वती चालीसा का पाठ वास्तव में सभी के लिए लाभकारी है। इससे मन शांत रहता है और मानसिक संतुलन बना रहता है, जिससे सभी को अपने पेशेवर लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।
बुजुर्गों के लिए श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करने का एक बहुत ही अनूठा अर्थ है। बुजुर्गों के पास जीवन के उतार-चढ़ाव के साथ व्यापक और बेहद अनोखे अनुभव होते हैं। अभी भी युवा और वृद्धों के बीच प्रभावी समन्वय का अभाव है। पीढ़ीगत विविधता के खातिर बुजुर्गों की उपेक्षा की जानी चाहिए।
श्री सरस्वती चालीसा के नियमित पाठ से वृद्ध लोगों का मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है। नतीजतन, वह आसानी से परिवार और युवा लोगों के साथ संवाद कर सकते हैं।
सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करना चाहिए। श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से पारिवारिक रिश्ते सुधरते हैं। यह एकात्म हो जाता है।
जो बच्चे प्यारे और नैतिक होते हैं वे श्री सरस्वती माता के आशीर्वाद से पैदा होते हैं।
विद्या और ज्ञान की देवी को श्री सरस्वती माता के नाम से जाना जाता है। श्री सरस्वती चालीसा पाठ ज्ञान, अंतर्दृष्टि और बुद्धि प्रदान करता है। माँ की कृपा से, सबसे अशिक्षित व्यक्ति भी ज्ञान और बुद्धि प्राप्त करता है।
सरस्वती मंत्र का जाप चालीसा से पाप का नाश होता है। एक व्यक्ति उचित मार्ग पर तब चलता है जब वह सीखता है और बुद्धिमान हो जाता है। पुण्य प्राप्त करता है। पुण्य का फल पाप का नाश होता है।
कलाकारों के लिए 7.
श्री सरस्वती चालीसा पाठ कला और संगीत में प्रसिद्धि चाहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत फायदेमंद है। इसका निरंतर निर्देश कलात्मक क्षेत्र में आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है।
श्री सरस्वती माता की सहायता से शत्रु को परास्त किया जा सकता है। घृणा बंद हो जाती है। श्री सरस्वती माता द्वारा हमारे लाभ के लिए हमारे विरोधियों को भी आशीर्वाद दिया जाता है। उन्हें ज्ञानी बनाओ। माँ की कृपा से ऐसा शत्रु भी मित्र बन सकता है।
श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करने से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। साधक को निरन्तर अच्छी वस्तुओं का अनुभव होता है। ऐसा लग सकता है कि हम कई बार क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। फिर भी, उस चोट में भी, जिसे हम बाद में जानते हैं, हमारी दया छिपी रहती है। उदाहरण के लिए, भले ही श्री राम को वनवास का कष्ट सहना पड़ा, लेकिन वे दूर रहते हुए बड़े-बड़े राक्षसों और अन्य राक्षसों को नष्ट करने में सफल रहे, जिससे समाज की भलाई में मदद मिली। इस प्रयास के फलस्वरूप उनकी ख्याति और ख्याति बढ़ती गई और तीनों लोकों में पहुँच गई।
श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करने से चुनौतीपूर्ण कार्य भी बिना किसी कठिनाई के पूर्ण हो जाते हैं। इसका नियमित पाठ करने वाला व्यक्ति इतना शक्तिशाली और चतुर हो जाता है कि वह कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से कर सकता है।
इससे नियमित पाठ से सभी प्रकार के मनोविकारों, बाधाओं और अला बला का नाश होता है। जादू-टोना का प्रभाव खत्म हो जाता है।
श्री सरस्वती माता की कृपा से सच्चे मन से किया गया हर प्रयास सफल होता है। नतीजतन, जो गरीब हैं वे अब गरीबी में नहीं रहते हैं। धनलाभ होने के योग हैं।
संतान सुख का अनुभव निसंतान को होता है।
नि:संतान व्यक्ति जो पूरी भक्ति के साथ श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करता है, उसके सुंदर बच्चे होंगे जो नैतिक रूप से ईमानदार होंगे।
श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करने से जीवन की सभी परेशानियां और परेशानियां दूर हो जाती हैं। व्यक्ति के जीवन, परिवार और घर में सुख-समृद्धि आती है।
PDF Name: | Saraswati-Chalisa |
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